Monday, September 29, 2014
Sunday, September 28, 2014
Tuesday, September 23, 2014
Sunday, September 21, 2014
Saturday, September 20, 2014
नियम और वीआईपी - 36 का आँकड़ा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आज (20-09-2014) प्रकाशित एक समाचार के अनुसार भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी अपनी चेन्नई सुपरकिंग की टीम के सदस्यों को लेकर हैदराबाद का एक पाँच सितारा होटल इसलिए छोडकर चले गए क्योंकि होटल के प्रबंधकों ने होटल के नियमों का पालन करते हुए उन्हें बोर्ड रूम में बाहर से आई बिरयानी खाने की इजाजत नहीं दी । उनके लिए यह बिरयानी, चैंम्पियन लीग ट्वैंटी के उदघाटन मुकाबले से एक दिन पूर्व , हैदराबाद के भारतीय बल्लेबाज अम्बाती रायुडु के घर से भेजी गई थी जो स्वयं उस दिन मुम्बई की ओर से रायपुर में मैच खेल रहे थे ।
होटल ने अपने नियमों में कुछ नरमी बरतते हुए खिलाडियों को उनके कमरों में खाने की इजाजत तो दे थी किंतु बोर्डरूम में ही खाने की उनकी माँग को द्दढ़ता से अस्वीकार कर दिया । धोनी बोर्डरूम में ही खाने की अपनी जिद पर कायम रहे और मना किए जाने पर अपनी बुकिंग निरस्त कर अन्य खिलाडियों को लेकर हैदराबाद के दूसरे होटल में चले गए । बीसीसीआई के एक अधिकारी ने होटल बदलने की बात की यह कहकर पुष्टि की कि वह वहाँ रहने में प्रसन्न नहीं थे।
धोनी करोडों युवाओं के रोल मौडल है जो उनसे प्रेरणा लेते हैं , सीख लेते हैं और उनके पदचिन्हों पर चलने के स्वप्न भी देखते हैं और प्रयास करते हैं इसलिए उनके द्वारा किया गया ऐसा आचरण ( यदि होटल छोड़ने का यही कारण है ,वैसे इस कारण को अब तक किसी ने भी नकारा नहीं है ) अत्यंत निंदनीय है । होटल ने व्यवस्थागत कारणों से अगर कुछ नियम बनाये हैं ,जो संविधान सम्मत हैं, तो उनका सहर्ष पालन होना चाहिए । अपने लिए नियमों को बदलवाने की जिद का एकमात्र आधार यही लगता है कि हम वीवीआईपी हैं और आपके नियम हमारे लिए बेमानी हैं यानि हम सब नियमों से उपर हैं ।उन्हें तो होटल प्रबंधन की प्रशंसा करनी चाहिए थी कि वह उनके हैसियत और रूतबे से बेपरवाह होकर नियमों का पालन करवाने के लिए इतने सजग थे । यदि वीवीआईपी लोगों को नियम तोडने पर पकडने वाले साहसी कार्यकर्ताओं को इस देश में पुरस्कृत किया जाने लगे तो देश तुरंत ही सकारात्मक बदलाव की दिशा में चल पडेगा । अभी तो यह होता आ रहा है कि अगर वीवीआईपी के किसी करीबी का भी कोई पुलिस वाला चालान करने का दुस्साहस कर ले तो पूरे महकमे पर खतरे के बादल मंडराने लगते हैं । इसीलिए वीआईपी दिखने के लिए लालबत्ती की इतनी माँग है ।
-ओंम प्रकाश नौटियालश्रंगार न होगा भाषण से सत्कार न होगा शासन से
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हिन्दी का विकास , प्रचार, प्रसार पिछले वर्षों में बहुत अधिक हुआ है किंतु हाँ, मैं इस बात से सहमत हूं कि इसमें हिंदी दिवस या हिन्दी पखवाडों का योगदान लगभग नगण्य है । इस कार्य में हिन्दी फिल्मों , टीवी सीरियल्स आदि ने अहम भूमिका अदा की है ,आधुनिक तकनीक ने इनकी पहुँच को विश्वभर के देशों मे अत्यंत सुगम बना दिया है ।125 करोड़ आबादी वाले भारत देश को एक बडे बाजार के रूप में देखने वाले विश्व के अनेक देश यहाँ अपनी पैठ जमाने के लिए हिन्दी सीख रहे हैं ।
फ़ेसबुक और अन्य सोशल साइट्स का भी हिन्दी साहित्य के प्रचार प्रसार में बडा योगदान है । हमारे देश के अंदर भी रोजगार के कारण युवाओं का अपना गाँव/नगर छोड देश के अन्य हिस्सों में जाने से भी देश भर में हिन्दी की स्वीकार्यता बहुत अधिक बढी है । विश्व के करोडों लोगों की इस भाषा को पल्लवित और प्रसारित होने से कोई नहीं रोक सकता । सरकारी कार्यालयो में भी हिन्दी के निरंतर बढते प्रेमियों के बाहरी दबाव के कारण ही हिन्दी पूरी तरह से छायेगी, इन "हिन्दी दिवसों " या पखवाडो से नहीं जो कभी से प्रति वर्षरस्म अदायगी के तौर पर ऐसे आयोजनों पर दिल खोल कर खर्च कर अपनी पीठ थपथपाते चले आ रहे हैं । हिन्दी का भविष्य अत्यंत उज्जवल है, निश्चिंत रहिए ।प्रतिष्ठित हिन्दी कवि श्री गोपाल सिंह नेपाली जी की दशकों पहले लिखी
कविता के अंश उद्धत कर रहा हूं :
" हिन्दी है भारत की भाषा तो अपने आप पनपने दो
यह दुखड़ों का जंजाल नहीं लाखों मुखड़ों की भाषा है
थी अमर शहीदों की आशा अब जिन्दों की अभिलाषा है
मेवा है इसकी सेवा में नयनों को कभी न झुकने दो
हिन्दी है भारत की भाषा......
श्रंगार न होगा भाषण से सत्कार न होगा शासन से
यह सरस्वती है जनता की पूजो उतरो सिंहासन से
तुम इसे शान्ति में लिखने दो, संघर्ष काल में तपने दो
हिन्दी है भारत की भाषा......
-गोपाल सिंह नेपाली "
जय भारत !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वड़ोदरा , गुजरात
Thursday, September 18, 2014
Tuesday, September 16, 2014
भाषा प्यार की
ओंम प्रकाश नौटियाल
भाषा प्यार की एक नई ईजाद कर लूंगा
नज़रें मिला कर तुमसे मैं संवाद कर लूंगा
तुम्हारे हृदय में जो छुपा वह भी पढ़ा मैने
उन्हीं भावों से दिल अपना आबाद कर लूंगा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
भाषा प्यार की एक नई ईजाद कर लूंगा
नज़रें मिला कर तुमसे मैं संवाद कर लूंगा
तुम्हारे हृदय में जो छुपा वह भी पढ़ा मैने
उन्हीं भावों से दिल अपना आबाद कर लूंगा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 14, 2014
Saturday, September 13, 2014
Wednesday, September 10, 2014
Tuesday, September 9, 2014
रंग महबूब का
-ओंम प्रकाश नौटियाल
इस तरह सदा न तुम यूं ऊब के देखा करो
दिल में कभी तो हमारे डूब के देखा करो
चाहते हैं हम तुम्हें इस जान से भी ज्यादा
रंग हममें भी कभी महबूब के देखा करो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
इस तरह सदा न तुम यूं ऊब के देखा करो
दिल में कभी तो हमारे डूब के देखा करो
चाहते हैं हम तुम्हें इस जान से भी ज्यादा
रंग हममें भी कभी महबूब के देखा करो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 7, 2014
अनुनय विनय
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मित्रों में केवल मिठास ही छनती नहीं सदा,
शत्रुओं में भी दिन रात ही ठनती नहीं सदा,
सख़्त भी होना पडता है अकसर कई बार
अनुनय विनय करके बात बनती नही सदा !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मित्रों में केवल मिठास ही छनती नहीं सदा,
शत्रुओं में भी दिन रात ही ठनती नहीं सदा,
सख़्त भी होना पडता है अकसर कई बार
अनुनय विनय करके बात बनती नही सदा !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, September 4, 2014
Wednesday, September 3, 2014
Monday, September 1, 2014
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