Wednesday, December 31, 2014
Sunday, December 21, 2014
Friday, December 19, 2014
अहम रोकता है
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मुहब्बत जब बेशुमार होती है,
नाहक ही तब तकरार होती है,
अहम रोकता है सुलह करने से
जीत व हार सर सवार होती है!
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, December 17, 2014
Monday, December 15, 2014
भाग्य
ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर भला किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
कब हमने कहा था कि तोड़ तारे लायेंगे
पतझड़ के मौसम में हम बहारे लायेंगे
है डूबना मझधार में यदि भाग्य तुम्हारा
हम कैसे वहाँ पर भला किनारे लायेंगे?
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Friday, December 12, 2014
Thursday, December 11, 2014
Thursday, December 4, 2014
Wednesday, December 3, 2014
प्रेम
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों पर मेरे झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में हौले हौले रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
बात प्रेम की आए तो हँसकर टाल देता है,
मगर गीतों पर मेरे झूमकर ताल देता है,
अपने रंग में हौले हौले रंग लिया ऐसा
बस अब चैन मुझको उसका ही खयाल देता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 29, 2014
Thursday, November 27, 2014
Tuesday, November 25, 2014
जीवन
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रात दिवस का चक्र, जीना तमाशा हो गया,
धूप कभी खिलती , कभी चौमासा हो गया,
जिन्दगी की राथों में, सुख दुख दोनों मिले
मन खुशी से तोला ,गम से माशा हो गया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रात दिवस का चक्र, जीना तमाशा हो गया,
धूप कभी खिलती , कभी चौमासा हो गया,
जिन्दगी की राथों में, सुख दुख दोनों मिले
मन खुशी से तोला ,गम से माशा हो गया !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 22, 2014
Friday, November 21, 2014
Tuesday, November 18, 2014
Tuesday, November 11, 2014
क्या करें ?
ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रश्न यही गूंजता है क्या करें,
काम नहीं सूझता है क्या करें,
राम भरोसे भला कब तक रहें
आज युवा पूछता है क्या करें !
--ओंम प्रकाश नौटियाल
प्रश्न यही गूंजता है क्या करें,
काम नहीं सूझता है क्या करें,
राम भरोसे भला कब तक रहें
आज युवा पूछता है क्या करें !
--ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, November 9, 2014
गंगा कैसे सा्फ़ हो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा कैसे सा्फ़ हो , रहता प्रश्न कचोट,
इसे मलिन ही हम करें , श्रद्धा में है खोट,
श्रद्धा में है खोट , दूर किस तरह हो रोग
कल कीचड़, मल, मैल, मिलाते हर क्षण लोग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गंगा कैसे सा्फ़ हो , रहता प्रश्न कचोट,
इसे मलिन ही हम करें , श्रद्धा में है खोट,
श्रद्धा में है खोट , दूर किस तरह हो रोग
कल कीचड़, मल, मैल, मिलाते हर क्षण लोग !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, November 8, 2014
Monday, November 3, 2014
Sunday, November 2, 2014
Saturday, November 1, 2014
Monday, October 27, 2014
Friday, October 24, 2014
Wednesday, October 22, 2014
Monday, October 13, 2014
Friday, October 10, 2014
कैलाश सत्यार्थी जी को नोबल शान्ति पुरस्कार जीतने पर हार्दिक बधाई ! नोबल से पहले 11 विदेशी पुरस्कार भारत में पद्मश्री भी नहीं !!!
-
हममें से अधिकतर लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी का नाम शायद पाकिस्तान में जन्मी सामाजिक कार्यकर्ता 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के साथ उन्हें संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का नोबल शान्ति पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद (कल 09.10.2014 को ) सुना होगा । मदर टैरेसा के बाद नोबल शान्ति पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं ।
कैलाश सत्यार्थी जी का जन्म विदिशा , मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 1954 को हुआ था । कैलाश जी आजकल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं । 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़ दिया और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करना शुरु कर दिया । गाँधीवादी परम्परा के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ संस्था की स्थापना की और वह इसके अध्यक्ष हैं । इनकी संस्था मे लगभग एक लाख स्वयंसेवक है और यह संस्था अब तक लगभग इतने ही असहाय , निराश्रित बच्चों की जिंदगी को बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर तथा उनकी शिक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था कर उसमें सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर चुकी है । लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से कैलाश जी बाल मजदूरी के विरुद्ध और बाल शिक्षा के लिए संघर्षरत हैं और वह अपने आंदोलन को सबके लिए शिक्षा से जोडकर यूनैस्को द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान से भी जुड़ हुए हैं। उन्होंने बाल श्रम और बाल शिक्षा के लिए देश विदेश में बने कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । वह बच्चों के लिए कार्यरत अनेकों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं जिनमें इंटरनैशनल सेंटर ऑन चाइल्ड लेबर ऐंड एजुकेशन व ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रमुख हैं ।
सत्यार्थी जी के विषय में विदेशों में बहुत से टीवी शो ,डाक्यूमैन्टरी आदि दिखाई जाती रही है । उनको विदेशों में अब तक ललगभग 11 पुरस्कार मिल चुके हैं किंतु विड़म्बना यह है कि भारत में उन्हे अब तक पद्मश्री भी नही मिली है। हमारे देश में पद्म पुरस्कारों को केवल सांसद प्रस्तावित कर सकते है । राजनीति से दूर रहने वाले , सच्चे और समर्पित समाज सेवक , स्वाभिमानी सत्यार्थी जी में इसीलिए राजनीतिज्ञों को शायद कोई पुरस्कार से नवाजने योग्य बात दिखाई ही नही दी ।
जिस व्यक्ति को 11 मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही हो उसे किसी भारतीय पुरस्कार के मिलने की फिर भी संभावना है पर खेद की बात है कि जिस सत्यार्थी को 11 देशों ने पुरस्कृत किया हो उसका अब तक भारतीय पुरस्कार सूचि में कहीं नाम नहीं ।
स्वार्थ की राजनीति के ’हुदहुद’ में सत्यार्थी जी के नोबल पुरस्कार जीतने का समाचार ताजा बयार की तरह है । सत्यार्थी जी , उनके परिवार और समस्त देशवासियॊ को उनकी इस बेजोड़ उपलब्धि पर हार्दिक बधाई । हमें गर्व है आप पर ! आप सच्चे "भारत रत्न" हैं !!
जय भारत ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा ,गुजरात ,मोबा. 9427345810
हममें से अधिकतर लोगों ने कैलाश सत्यार्थी जी का नाम शायद पाकिस्तान में जन्मी सामाजिक कार्यकर्ता 17 वर्षीय मलाला यूसुफजई के साथ उन्हें संयुक्त रूप से वर्ष 2014 का नोबल शान्ति पुरस्कार मिलने की घोषणा होने के बाद (कल 09.10.2014 को ) सुना होगा । मदर टैरेसा के बाद नोबल शान्ति पुरस्कार पाने वाले वह दूसरे भारतीय हैं ।
कैलाश सत्यार्थी जी का जन्म विदिशा , मध्य प्रदेश में 11 जनवरी 1954 को हुआ था । कैलाश जी आजकल अपने परिवार के साथ दिल्ली में रहते हैं । 26 वर्ष की उम्र में उन्होंने इलैक्ट्रिकल इंजीनियर का पेशा छोड़ दिया और बच्चों के अधिकारों के लिए कार्य करना शुरु कर दिया । गाँधीवादी परम्परा के सामाजिक कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने बचपन बचाओ संस्था की स्थापना की और वह इसके अध्यक्ष हैं । इनकी संस्था मे लगभग एक लाख स्वयंसेवक है और यह संस्था अब तक लगभग इतने ही असहाय , निराश्रित बच्चों की जिंदगी को बाल श्रम से मुक्ति दिलाकर तथा उनकी शिक्षा व पुनर्वास की व्यवस्था कर उसमें सकारात्मक बदलाव लाने का काम कर चुकी है । लगभग तीन दशक से भी अधिक समय से कैलाश जी बाल मजदूरी के विरुद्ध और बाल शिक्षा के लिए संघर्षरत हैं और वह अपने आंदोलन को सबके लिए शिक्षा से जोडकर यूनैस्को द्वारा चलाये जा रहे सर्व शिक्षा अभियान से भी जुड़ हुए हैं। उन्होंने बाल श्रम और बाल शिक्षा के लिए देश विदेश में बने कानूनों में आवश्यक संशोधन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं । वह बच्चों के लिए कार्यरत अनेकों अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं से भी सक्रिय रूप से जुड़े हैं जिनमें इंटरनैशनल सेंटर ऑन चाइल्ड लेबर ऐंड एजुकेशन व ग्लोबल मार्च अगेंस्ट चाइल्ड लेबर प्रमुख हैं ।
सत्यार्थी जी के विषय में विदेशों में बहुत से टीवी शो ,डाक्यूमैन्टरी आदि दिखाई जाती रही है । उनको विदेशों में अब तक ललगभग 11 पुरस्कार मिल चुके हैं किंतु विड़म्बना यह है कि भारत में उन्हे अब तक पद्मश्री भी नही मिली है। हमारे देश में पद्म पुरस्कारों को केवल सांसद प्रस्तावित कर सकते है । राजनीति से दूर रहने वाले , सच्चे और समर्पित समाज सेवक , स्वाभिमानी सत्यार्थी जी में इसीलिए राजनीतिज्ञों को शायद कोई पुरस्कार से नवाजने योग्य बात दिखाई ही नही दी ।
जिस व्यक्ति को 11 मुल्कों की पुलिस ढूंढ रही हो उसे किसी भारतीय पुरस्कार के मिलने की फिर भी संभावना है पर खेद की बात है कि जिस सत्यार्थी को 11 देशों ने पुरस्कृत किया हो उसका अब तक भारतीय पुरस्कार सूचि में कहीं नाम नहीं ।
स्वार्थ की राजनीति के ’हुदहुद’ में सत्यार्थी जी के नोबल पुरस्कार जीतने का समाचार ताजा बयार की तरह है । सत्यार्थी जी , उनके परिवार और समस्त देशवासियॊ को उनकी इस बेजोड़ उपलब्धि पर हार्दिक बधाई । हमें गर्व है आप पर ! आप सच्चे "भारत रत्न" हैं !!
जय भारत ।
-ओंम प्रकाश नौटियाल, बडौदा ,गुजरात ,मोबा. 9427345810
Wednesday, October 8, 2014
Tuesday, October 7, 2014
फर्ज की पुकार
ओंम प्रकाश नौ्टियाल
फर्ज की यही पुकार है चले आइये,
हो रहा अत्याचार है चले आइये,
जो खड़ी है मुल्क की एकता के मध्य
गिरानी वह दीवार है चले आइये !!
-ओंम प्रकाश नौ्टियाल
फर्ज की यही पुकार है चले आइये,
हो रहा अत्याचार है चले आइये,
जो खड़ी है मुल्क की एकता के मध्य
गिरानी वह दीवार है चले आइये !!
-ओंम प्रकाश नौ्टियाल
Monday, September 29, 2014
Sunday, September 28, 2014
Tuesday, September 23, 2014
Sunday, September 21, 2014
Saturday, September 20, 2014
नियम और वीआईपी - 36 का आँकड़ा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
आज (20-09-2014) प्रकाशित एक समाचार के अनुसार भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी अपनी चेन्नई सुपरकिंग की टीम के सदस्यों को लेकर हैदराबाद का एक पाँच सितारा होटल इसलिए छोडकर चले गए क्योंकि होटल के प्रबंधकों ने होटल के नियमों का पालन करते हुए उन्हें बोर्ड रूम में बाहर से आई बिरयानी खाने की इजाजत नहीं दी । उनके लिए यह बिरयानी, चैंम्पियन लीग ट्वैंटी के उदघाटन मुकाबले से एक दिन पूर्व , हैदराबाद के भारतीय बल्लेबाज अम्बाती रायुडु के घर से भेजी गई थी जो स्वयं उस दिन मुम्बई की ओर से रायपुर में मैच खेल रहे थे ।
होटल ने अपने नियमों में कुछ नरमी बरतते हुए खिलाडियों को उनके कमरों में खाने की इजाजत तो दे थी किंतु बोर्डरूम में ही खाने की उनकी माँग को द्दढ़ता से अस्वीकार कर दिया । धोनी बोर्डरूम में ही खाने की अपनी जिद पर कायम रहे और मना किए जाने पर अपनी बुकिंग निरस्त कर अन्य खिलाडियों को लेकर हैदराबाद के दूसरे होटल में चले गए । बीसीसीआई के एक अधिकारी ने होटल बदलने की बात की यह कहकर पुष्टि की कि वह वहाँ रहने में प्रसन्न नहीं थे।
धोनी करोडों युवाओं के रोल मौडल है जो उनसे प्रेरणा लेते हैं , सीख लेते हैं और उनके पदचिन्हों पर चलने के स्वप्न भी देखते हैं और प्रयास करते हैं इसलिए उनके द्वारा किया गया ऐसा आचरण ( यदि होटल छोड़ने का यही कारण है ,वैसे इस कारण को अब तक किसी ने भी नकारा नहीं है ) अत्यंत निंदनीय है । होटल ने व्यवस्थागत कारणों से अगर कुछ नियम बनाये हैं ,जो संविधान सम्मत हैं, तो उनका सहर्ष पालन होना चाहिए । अपने लिए नियमों को बदलवाने की जिद का एकमात्र आधार यही लगता है कि हम वीवीआईपी हैं और आपके नियम हमारे लिए बेमानी हैं यानि हम सब नियमों से उपर हैं ।उन्हें तो होटल प्रबंधन की प्रशंसा करनी चाहिए थी कि वह उनके हैसियत और रूतबे से बेपरवाह होकर नियमों का पालन करवाने के लिए इतने सजग थे । यदि वीवीआईपी लोगों को नियम तोडने पर पकडने वाले साहसी कार्यकर्ताओं को इस देश में पुरस्कृत किया जाने लगे तो देश तुरंत ही सकारात्मक बदलाव की दिशा में चल पडेगा । अभी तो यह होता आ रहा है कि अगर वीवीआईपी के किसी करीबी का भी कोई पुलिस वाला चालान करने का दुस्साहस कर ले तो पूरे महकमे पर खतरे के बादल मंडराने लगते हैं । इसीलिए वीआईपी दिखने के लिए लालबत्ती की इतनी माँग है ।
-ओंम प्रकाश नौटियालश्रंगार न होगा भाषण से सत्कार न होगा शासन से
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हिन्दी का विकास , प्रचार, प्रसार पिछले वर्षों में बहुत अधिक हुआ है किंतु हाँ, मैं इस बात से सहमत हूं कि इसमें हिंदी दिवस या हिन्दी पखवाडों का योगदान लगभग नगण्य है । इस कार्य में हिन्दी फिल्मों , टीवी सीरियल्स आदि ने अहम भूमिका अदा की है ,आधुनिक तकनीक ने इनकी पहुँच को विश्वभर के देशों मे अत्यंत सुगम बना दिया है ।125 करोड़ आबादी वाले भारत देश को एक बडे बाजार के रूप में देखने वाले विश्व के अनेक देश यहाँ अपनी पैठ जमाने के लिए हिन्दी सीख रहे हैं ।
फ़ेसबुक और अन्य सोशल साइट्स का भी हिन्दी साहित्य के प्रचार प्रसार में बडा योगदान है । हमारे देश के अंदर भी रोजगार के कारण युवाओं का अपना गाँव/नगर छोड देश के अन्य हिस्सों में जाने से भी देश भर में हिन्दी की स्वीकार्यता बहुत अधिक बढी है । विश्व के करोडों लोगों की इस भाषा को पल्लवित और प्रसारित होने से कोई नहीं रोक सकता । सरकारी कार्यालयो में भी हिन्दी के निरंतर बढते प्रेमियों के बाहरी दबाव के कारण ही हिन्दी पूरी तरह से छायेगी, इन "हिन्दी दिवसों " या पखवाडो से नहीं जो कभी से प्रति वर्षरस्म अदायगी के तौर पर ऐसे आयोजनों पर दिल खोल कर खर्च कर अपनी पीठ थपथपाते चले आ रहे हैं । हिन्दी का भविष्य अत्यंत उज्जवल है, निश्चिंत रहिए ।प्रतिष्ठित हिन्दी कवि श्री गोपाल सिंह नेपाली जी की दशकों पहले लिखी
कविता के अंश उद्धत कर रहा हूं :
" हिन्दी है भारत की भाषा तो अपने आप पनपने दो
यह दुखड़ों का जंजाल नहीं लाखों मुखड़ों की भाषा है
थी अमर शहीदों की आशा अब जिन्दों की अभिलाषा है
मेवा है इसकी सेवा में नयनों को कभी न झुकने दो
हिन्दी है भारत की भाषा......
श्रंगार न होगा भाषण से सत्कार न होगा शासन से
यह सरस्वती है जनता की पूजो उतरो सिंहासन से
तुम इसे शान्ति में लिखने दो, संघर्ष काल में तपने दो
हिन्दी है भारत की भाषा......
-गोपाल सिंह नेपाली "
जय भारत !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वड़ोदरा , गुजरात
Thursday, September 18, 2014
Tuesday, September 16, 2014
भाषा प्यार की
ओंम प्रकाश नौटियाल
भाषा प्यार की एक नई ईजाद कर लूंगा
नज़रें मिला कर तुमसे मैं संवाद कर लूंगा
तुम्हारे हृदय में जो छुपा वह भी पढ़ा मैने
उन्हीं भावों से दिल अपना आबाद कर लूंगा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
भाषा प्यार की एक नई ईजाद कर लूंगा
नज़रें मिला कर तुमसे मैं संवाद कर लूंगा
तुम्हारे हृदय में जो छुपा वह भी पढ़ा मैने
उन्हीं भावों से दिल अपना आबाद कर लूंगा
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 14, 2014
Saturday, September 13, 2014
Wednesday, September 10, 2014
Tuesday, September 9, 2014
रंग महबूब का
-ओंम प्रकाश नौटियाल
इस तरह सदा न तुम यूं ऊब के देखा करो
दिल में कभी तो हमारे डूब के देखा करो
चाहते हैं हम तुम्हें इस जान से भी ज्यादा
रंग हममें भी कभी महबूब के देखा करो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
इस तरह सदा न तुम यूं ऊब के देखा करो
दिल में कभी तो हमारे डूब के देखा करो
चाहते हैं हम तुम्हें इस जान से भी ज्यादा
रंग हममें भी कभी महबूब के देखा करो
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, September 7, 2014
अनुनय विनय
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मित्रों में केवल मिठास ही छनती नहीं सदा,
शत्रुओं में भी दिन रात ही ठनती नहीं सदा,
सख़्त भी होना पडता है अकसर कई बार
अनुनय विनय करके बात बनती नही सदा !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
मित्रों में केवल मिठास ही छनती नहीं सदा,
शत्रुओं में भी दिन रात ही ठनती नहीं सदा,
सख़्त भी होना पडता है अकसर कई बार
अनुनय विनय करके बात बनती नही सदा !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, September 4, 2014
Wednesday, September 3, 2014
Monday, September 1, 2014
Saturday, August 30, 2014
वजह मुस्कुराने की
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अदा है पास आपके सारे जमाने की ,
चाहत है सभी की आपका हो जाने की,
रूप देखा सदा ही खिलखिलाता आपका
हमको भी थोडी दें वजह मुस्कुराने की !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अदा है पास आपके सारे जमाने की ,
चाहत है सभी की आपका हो जाने की,
रूप देखा सदा ही खिलखिलाता आपका
हमको भी थोडी दें वजह मुस्कुराने की !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Wednesday, August 27, 2014
Tuesday, August 26, 2014
साज गम का
-ओंम प्रकाश नौटियाल
नाज करना बता गया कोई,
आज अपना सता गया कोई,
आप सुनाते प्रेम गीत मधुर
साज गम का बजा गया कोई !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
नाज करना बता गया कोई,
आज अपना सता गया कोई,
आप सुनाते प्रेम गीत मधुर
साज गम का बजा गया कोई !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, August 23, 2014
थौमस एडिसन - सकारात्मक सोच वाले एक महान वैज्ञानिक
ओंम प्रकाश नौटियाल
-हम सभी ने थौमस एडिसन का नाम सुना है । उनका जन्म 11 फ़रवरी 1847 को मिलान , ओहियो अमेरिका और मत्यु 18 अक्टूबर 1931 को न्यू जर्सी में हुई । अपने जीवन काल में उन्होंने जो बडे बडे आविष्कार किये जिनमें फोनोग्राफ ,बिजली का बल्ब ,क्षारीय बैटरी ,किनैटोग्राफ कैमरा आदि शामिल हैं । छोटी उम्र में ही उनकी माता ने उन्हें विद्यालय से निकाल लिया क्योंकि उनके अध्यापक के अनुसार उनका ध्यान पढाई में नहीं था और उन्हें अनुशासन में रख पाना बेहद कठिन कार्य था । 11 वर्ष की आयु में उनमें ज्ञान अर्जन करने और विभिन्न विषयों पर पुस्तकें पढने की अतुलनीय क्षुधा द्दष्टिगोचर हुई । उन्होंने अपने आप पढने और स्वयं को शिक्षित करने की एक योजना बद्ध शुरुआत कर दी जो कि उम्र भर चलती रही ।-
12 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने माता पिता को विश्वास में लेकर ग्रान्ड ट्रंक रेल रूट पर अखबार बेचने का काम शुरू करते हुए अपनी शिक्षा को व्यवहार में आंकना प्रारंभ किया । अखबार बेचते हुए उनकी न्यूज बुलैटिन पर पहुंच होने से उन्होंने "ग्रान्ड ट्रंक हैराल्ड " नाम का अखबार निकाल कर व्यवसाय की दुनियाँ में अपना पहला कदम रखा ।-
समयोपरांत एडिसन ने अपनी प्रयोगशाला की भी स्थापना की और विभिन्न अविष्कारों के प्रणेता बनें ।-
बताया जाता है कि विद्युत बल्ब का फ़िलामैंट बनाते हुए ( बल्ब के अंदर का तार जो जल कर रोशनी देता है ) वह लगभग 10000 बार असफल हुए , विभिन्न प्रकार की मिश्र धातुओं से तैय्यार फ़िलामैंट हर बार जल कर राख हो जाता था । उनके एक मित्र ने कहा , " एडिसन तुम दसों हजार बार असफल हो गये हो, इसका अर्थ यह है कि ऐसा रोशनी देने वाला फ़िलामैंट बनना संभव ही नहीं है । " एडिसन ने उत्तर दिया , " मित्र मै दस हजार बार असफल नहीं हुआ हूं बल्कि अब मैं मिश्र धातु के दस हजार ऐसे फिलामैंट जान गया हूं , जिनसे बल्ब नहीं बनाया जा सकता है, और अब मुझे अन्य फ़िलामैंट की खोज करनी होगी ।" सकारात्मक सोच का इससे अनुपम और प्रेरणादायक उदाहरण भला क्या मिलेगा"?
67 वर्ष की उम्र में उनकी फैक्टरी जल कर खाक हो गयी , इसमें उनके जीवन भर की अर्जित पूंजी लगी थी और उन्होंने इन्श्योरैंस भी बहुत कम करवाया हुआ था ।
एडिसन ने सब देखा और कहा , " ऐसे विनाशकारी बडे हादसों का एक लाभ यह है कि हमारी जीवन भर की गलतियाँ भी जलकर राख हो जाती हैं , और हम ईश कृपा से नई शुरूआत कर सकते हैं ।"
सप्रेम
ओंम प्रकाश नौटियाल
(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
-हम सभी ने थौमस एडिसन का नाम सुना है । उनका जन्म 11 फ़रवरी 1847 को मिलान , ओहियो अमेरिका और मत्यु 18 अक्टूबर 1931 को न्यू जर्सी में हुई । अपने जीवन काल में उन्होंने जो बडे बडे आविष्कार किये जिनमें फोनोग्राफ ,बिजली का बल्ब ,क्षारीय बैटरी ,किनैटोग्राफ कैमरा आदि शामिल हैं । छोटी उम्र में ही उनकी माता ने उन्हें विद्यालय से निकाल लिया क्योंकि उनके अध्यापक के अनुसार उनका ध्यान पढाई में नहीं था और उन्हें अनुशासन में रख पाना बेहद कठिन कार्य था । 11 वर्ष की आयु में उनमें ज्ञान अर्जन करने और विभिन्न विषयों पर पुस्तकें पढने की अतुलनीय क्षुधा द्दष्टिगोचर हुई । उन्होंने अपने आप पढने और स्वयं को शिक्षित करने की एक योजना बद्ध शुरुआत कर दी जो कि उम्र भर चलती रही ।-
12 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपने माता पिता को विश्वास में लेकर ग्रान्ड ट्रंक रेल रूट पर अखबार बेचने का काम शुरू करते हुए अपनी शिक्षा को व्यवहार में आंकना प्रारंभ किया । अखबार बेचते हुए उनकी न्यूज बुलैटिन पर पहुंच होने से उन्होंने "ग्रान्ड ट्रंक हैराल्ड " नाम का अखबार निकाल कर व्यवसाय की दुनियाँ में अपना पहला कदम रखा ।-
समयोपरांत एडिसन ने अपनी प्रयोगशाला की भी स्थापना की और विभिन्न अविष्कारों के प्रणेता बनें ।-
बताया जाता है कि विद्युत बल्ब का फ़िलामैंट बनाते हुए ( बल्ब के अंदर का तार जो जल कर रोशनी देता है ) वह लगभग 10000 बार असफल हुए , विभिन्न प्रकार की मिश्र धातुओं से तैय्यार फ़िलामैंट हर बार जल कर राख हो जाता था । उनके एक मित्र ने कहा , " एडिसन तुम दसों हजार बार असफल हो गये हो, इसका अर्थ यह है कि ऐसा रोशनी देने वाला फ़िलामैंट बनना संभव ही नहीं है । " एडिसन ने उत्तर दिया , " मित्र मै दस हजार बार असफल नहीं हुआ हूं बल्कि अब मैं मिश्र धातु के दस हजार ऐसे फिलामैंट जान गया हूं , जिनसे बल्ब नहीं बनाया जा सकता है, और अब मुझे अन्य फ़िलामैंट की खोज करनी होगी ।" सकारात्मक सोच का इससे अनुपम और प्रेरणादायक उदाहरण भला क्या मिलेगा"?
67 वर्ष की उम्र में उनकी फैक्टरी जल कर खाक हो गयी , इसमें उनके जीवन भर की अर्जित पूंजी लगी थी और उन्होंने इन्श्योरैंस भी बहुत कम करवाया हुआ था ।
एडिसन ने सब देखा और कहा , " ऐसे विनाशकारी बडे हादसों का एक लाभ यह है कि हमारी जीवन भर की गलतियाँ भी जलकर राख हो जाती हैं , और हम ईश कृपा से नई शुरूआत कर सकते हैं ।"
सप्रेम
ओंम प्रकाश नौटियाल
(अंतर्जाल पर उपलब्ध जानकारी के आधार पर)
Friday, August 22, 2014
विवशता
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हो मौसम उदास फूल को खिलना तो पड़ता है,
हवा के मान को वृक्ष को हिलना तो पडता है,
मिलन रास न आये जिंदगी को मौत से शायद
बिन बुलाये आ जाये, फिर मिलना तो पडता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हो मौसम उदास फूल को खिलना तो पड़ता है,
हवा के मान को वृक्ष को हिलना तो पडता है,
मिलन रास न आये जिंदगी को मौत से शायद
बिन बुलाये आ जाये, फिर मिलना तो पडता है !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, August 21, 2014
Wednesday, August 20, 2014
आवाज बुलंद कीजिये !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गुजरात के छोटा उदयपुर जिले की संखेडा तहसील से हिरण नदी गुजरती है । मीडिया समाचारों के अनुसार इसके किनारे बसे पाँच गाँवों के बालक बालिकाएं वर्षों से तैर कर नदी पार करके विद्यालय जाते हैं । गाँवों से पुल लगभग ११ कि.मी. दूर है इसलिये पुल से होकर जा्ना पैसे और समय दोनों द्दष्टि से अत्यधिक खर्चीला है ।
इन गाँवों के लगभग सवा सौ बच्चों को यह समस्या नित्य झेलनी पडती है जो नदी पार कर के नर्मदा जिले की तिलकवाडा तहसील के उतावडी गाँव स्थित सरकारी विद्यालय में पढने जाते हैं । बालक तो अपने कपडे उतार कर प्लास्टिक बैग में रखकर नदी पार करते हैं और फ़िर दूसरे छोर पर जाकर कपडे पहन लेते हैं किंतु कन्याएं भीगे वस्त्रों में हीं पाठशाला जाती हैं और उनके कपडे शरीर पर ही सूखते हैं ।
गाँव वाले बच्चों को इस जोखिम से बचाने के लिए जिला अधिकारियों से नदी पर पुल बनाने की माँग वर्षों से कर रहे हैं किंतु जैसा कि अपने देश में अकसर होता है , जब तक कोई बडा हादसा न हो जाये किसी के कान पर जूं नहीं रेंगती । इस चुनावी वर्ष में कुछ मीडिया चैनलों ने अपने समाचारों मे नदी पार करते बच्चों के वीडियो दिखाये और गाँव वालो तथा बच्चों के साक्षात्कार भी प्रसारित किये । मीडिया के आवाज उठाने पर मामला चूंकि गाँवों की सीमा से बाहर निकल गया है इसलिये बताया गया है कि अब वहाँ पर फिलहाल दो नावों को तैनात किया गया है (जो वर्षों पहले भी हो सकता था) ।
बच्चों के जीवन से खिलवाड करने वाले तथा उनके सिक्षा के मौलिक अधिकार से जुडे इस मामले को अब सबने गंभीर मानना शुरु कर दिया है । राश्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है , राज्य के मुख्य सचिव को चार सप्ताह में इस विषय पर रिपोर्ट देने को कहा गया है ।
इस विषय में राष्ट्रीय मीडिया की भूमिका , देर से ही सही, अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुई है अन्यथा यह एक स्थानीय मुद्दा बनकर न जाने कितने वर्षों तक और लटका रहता ।
इसलिये आवश्यक है कि आवाज उठायी जाये और वह भी इतनी जोर से कि पूरा देश सुन सके ।
जय भारत
ओंम प्रकाश नौटियाल
गुजरात के छोटा उदयपुर जिले की संखेडा तहसील से हिरण नदी गुजरती है । मीडिया समाचारों के अनुसार इसके किनारे बसे पाँच गाँवों के बालक बालिकाएं वर्षों से तैर कर नदी पार करके विद्यालय जाते हैं । गाँवों से पुल लगभग ११ कि.मी. दूर है इसलिये पुल से होकर जा्ना पैसे और समय दोनों द्दष्टि से अत्यधिक खर्चीला है ।
इन गाँवों के लगभग सवा सौ बच्चों को यह समस्या नित्य झेलनी पडती है जो नदी पार कर के नर्मदा जिले की तिलकवाडा तहसील के उतावडी गाँव स्थित सरकारी विद्यालय में पढने जाते हैं । बालक तो अपने कपडे उतार कर प्लास्टिक बैग में रखकर नदी पार करते हैं और फ़िर दूसरे छोर पर जाकर कपडे पहन लेते हैं किंतु कन्याएं भीगे वस्त्रों में हीं पाठशाला जाती हैं और उनके कपडे शरीर पर ही सूखते हैं ।
गाँव वाले बच्चों को इस जोखिम से बचाने के लिए जिला अधिकारियों से नदी पर पुल बनाने की माँग वर्षों से कर रहे हैं किंतु जैसा कि अपने देश में अकसर होता है , जब तक कोई बडा हादसा न हो जाये किसी के कान पर जूं नहीं रेंगती । इस चुनावी वर्ष में कुछ मीडिया चैनलों ने अपने समाचारों मे नदी पार करते बच्चों के वीडियो दिखाये और गाँव वालो तथा बच्चों के साक्षात्कार भी प्रसारित किये । मीडिया के आवाज उठाने पर मामला चूंकि गाँवों की सीमा से बाहर निकल गया है इसलिये बताया गया है कि अब वहाँ पर फिलहाल दो नावों को तैनात किया गया है (जो वर्षों पहले भी हो सकता था) ।
बच्चों के जीवन से खिलवाड करने वाले तथा उनके सिक्षा के मौलिक अधिकार से जुडे इस मामले को अब सबने गंभीर मानना शुरु कर दिया है । राश्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी गुजरात सरकार को नोटिस जारी किया है , राज्य के मुख्य सचिव को चार सप्ताह में इस विषय पर रिपोर्ट देने को कहा गया है ।
इस विषय में राष्ट्रीय मीडिया की भूमिका , देर से ही सही, अत्यंत प्रभावशाली सिद्ध हुई है अन्यथा यह एक स्थानीय मुद्दा बनकर न जाने कितने वर्षों तक और लटका रहता ।
इसलिये आवश्यक है कि आवाज उठायी जाये और वह भी इतनी जोर से कि पूरा देश सुन सके ।
जय भारत
ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, August 18, 2014
दीदार
-ओंम प्रकाश नौटियाल
दीदार
साकी के आने से यह बात अच्छी हो गई है,
मेरी महफिलों में दिलचस्पी सबकी हो गई है,
पहले जो आते ना थे व्यस्तता का कर बहाना
दीदार को उन्हें भी अब मयपरस्ती हो गई है
-ओंम प्रकाश नौटियाल
दीदार
साकी के आने से यह बात अच्छी हो गई है,
मेरी महफिलों में दिलचस्पी सबकी हो गई है,
पहले जो आते ना थे व्यस्तता का कर बहाना
दीदार को उन्हें भी अब मयपरस्ती हो गई है
-ओंम प्रकाश नौटियाल
गोविंदा आला रे !!!
ओंम प्रकाश नौटियाल
बडौदा में हमारे मोहल्ले में अभी कुछ समय पहले ही दही हाँडी फोडने का कार्यक्रम संपन्न हुआ । सारे आयोजन को, जिसमें लगभग २०० से अधिक लोगों ने भाग लिया, ७ से १४ वर्ष के करीब २० बच्चों ने बहुत ही कुशलता से पूर्ण किया । मेहमानों के लिए बैठने की व्यवस्था , पेय जल वितरण , कार्यक्रम की रूपरेखा के और विलंब के कारणों की समय समय पर उद्घोषणा करने आदि के कार्य बडे सुचारु रूप से संपन्न किये गये। उद्घोषक बालक की मासूमियत और ईमानदारी ने सब का दिल जीत लिया ... " ...डी जे लगने में विलंब होने से कार्यक्रम निर्धारित समय से कुछ पीछे हो गया है , अभी पाँच मिनट में शुरु होने वाला है । पहले श्री कृष्ण भगवान की आरती होगी जिसमें सभी भाग लेंगे , फ़िर हमारा जिमनास्टिक का छोटा कार्यक्रम होगा , फ़िर दही हाँडी फोडी जायेगी, काफी उपर लगी है , इसलिये फूट गई तो ठीक ,नही फूटी तो भी कोई टैन्शन नहीं लेना है । इसके बाद प्रसाद वितरण होगा , सब लोग कृपया प्रसाद लेकर जायें ।..."
ऐसी बहुत सी सामूहिक गतिविधियाँ जो पहले गाँवों में बडी प्रचलित थी और जिसमें सभी उम्र के लोगों की भागीदारी होती थी , अब प्रायः लुप्त हो रही हैं , गोविंदा का भी अब व्यवसायिकरण हो गया है । ऐसे त्योहार जिन्हें सब लोग सामूहिक तौर पर मनाते हैं , आपस में न केवल भाईचारा बढाते हैं अपितु सामूहिक कार्यविधि , परस्पर सहयोग, अनुशासन , कार्य दक्षता और कुशलता को भी बढावा देते हैं । बच्चों के इस आयोजन से मैं बहुत प्रभावित हुआ , ऐसी सामूहिक गतिविधियों को हमें अपने मोहल्ले , सोसाइटी में प्रोत्साहित करना चाहिये । बच्चों के आयोजन की सबसे अच्छी बात यह है कि उसमें राजनितिक रंग नहीं होता , श्रेय लेने की कटु स्पर्धा नहीं होती । सच है, बच्चे बडों को बहुत कुछ सिखाते हैं ।
"दुनियाँ की शोहरतें हैं उन्हीं के नसीब में
अंदाज़ जिनको बात बनाने के आ गये ,
पंडित उलझ के रह गये पोथी के जाल में
क्या चीज़ है ये ज़िन्दगी, बच्चे बता गये ।"
----’हस्ती ’
सप्रेम
ओंम प्रकाश नौटियाल
बडौदा में हमारे मोहल्ले में अभी कुछ समय पहले ही दही हाँडी फोडने का कार्यक्रम संपन्न हुआ । सारे आयोजन को, जिसमें लगभग २०० से अधिक लोगों ने भाग लिया, ७ से १४ वर्ष के करीब २० बच्चों ने बहुत ही कुशलता से पूर्ण किया । मेहमानों के लिए बैठने की व्यवस्था , पेय जल वितरण , कार्यक्रम की रूपरेखा के और विलंब के कारणों की समय समय पर उद्घोषणा करने आदि के कार्य बडे सुचारु रूप से संपन्न किये गये। उद्घोषक बालक की मासूमियत और ईमानदारी ने सब का दिल जीत लिया ... " ...डी जे लगने में विलंब होने से कार्यक्रम निर्धारित समय से कुछ पीछे हो गया है , अभी पाँच मिनट में शुरु होने वाला है । पहले श्री कृष्ण भगवान की आरती होगी जिसमें सभी भाग लेंगे , फ़िर हमारा जिमनास्टिक का छोटा कार्यक्रम होगा , फ़िर दही हाँडी फोडी जायेगी, काफी उपर लगी है , इसलिये फूट गई तो ठीक ,नही फूटी तो भी कोई टैन्शन नहीं लेना है । इसके बाद प्रसाद वितरण होगा , सब लोग कृपया प्रसाद लेकर जायें ।..."
ऐसी बहुत सी सामूहिक गतिविधियाँ जो पहले गाँवों में बडी प्रचलित थी और जिसमें सभी उम्र के लोगों की भागीदारी होती थी , अब प्रायः लुप्त हो रही हैं , गोविंदा का भी अब व्यवसायिकरण हो गया है । ऐसे त्योहार जिन्हें सब लोग सामूहिक तौर पर मनाते हैं , आपस में न केवल भाईचारा बढाते हैं अपितु सामूहिक कार्यविधि , परस्पर सहयोग, अनुशासन , कार्य दक्षता और कुशलता को भी बढावा देते हैं । बच्चों के इस आयोजन से मैं बहुत प्रभावित हुआ , ऐसी सामूहिक गतिविधियों को हमें अपने मोहल्ले , सोसाइटी में प्रोत्साहित करना चाहिये । बच्चों के आयोजन की सबसे अच्छी बात यह है कि उसमें राजनितिक रंग नहीं होता , श्रेय लेने की कटु स्पर्धा नहीं होती । सच है, बच्चे बडों को बहुत कुछ सिखाते हैं ।
"दुनियाँ की शोहरतें हैं उन्हीं के नसीब में
अंदाज़ जिनको बात बनाने के आ गये ,
पंडित उलझ के रह गये पोथी के जाल में
क्या चीज़ है ये ज़िन्दगी, बच्चे बता गये ।"
----’हस्ती ’
सप्रेम
ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, August 17, 2014
Wednesday, August 13, 2014
Tuesday, August 12, 2014
सच्ची पूजा
आँखों में आँसूओं का, समन्दर क्यों हो,
बढ़ ख्वाहिशें आदमी की, सिकन्दर क्यों हो,
सत्कर्म करें सभी अगर समझ कर पूजा
वास शैतान का फिर भला अंदर क्यों हो ?
- ओंम प्रकाश नौटियाल
बढ़ ख्वाहिशें आदमी की, सिकन्दर क्यों हो,
सत्कर्म करें सभी अगर समझ कर पूजा
वास शैतान का फिर भला अंदर क्यों हो ?
- ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, August 11, 2014
प्यारा ध्वज तिरंगा !
उन लोगों को मिले सजा, करवाते जो दंगा,
सब जगह हो अमन, चाहे दिल्ली या दरभंगा ,
इस जहाँ से मिट जाये, निशाँ दहशतगर्दी का
तब फिर शान से लहराये, प्यारा ध्वज तिरंगा !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
सब जगह हो अमन, चाहे दिल्ली या दरभंगा ,
इस जहाँ से मिट जाये, निशाँ दहशतगर्दी का
तब फिर शान से लहराये, प्यारा ध्वज तिरंगा !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, August 9, 2014
Thursday, August 7, 2014
Tuesday, August 5, 2014
Sunday, August 3, 2014
Friday, August 1, 2014
Monday, July 28, 2014
निष्काम कीजिये
सदा ही लोभ क्रोध से संग्राम कीजिये,
नेकी से जुडे काम भी तमाम कीजिये,
चाहें अगर हृदय में ईश्वर का वास हो
तो सर्व प्रथम हृदय को निष्काम कीजिये !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
नेकी से जुडे काम भी तमाम कीजिये,
चाहें अगर हृदय में ईश्वर का वास हो
तो सर्व प्रथम हृदय को निष्काम कीजिये !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Saturday, July 26, 2014
मंजिल
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अपना लक्ष्य स्पष्ट रख, निर्धारित पडाव कर,
मुश्किल से जूझने का, भीतर से चाव कर,
मंजिल की ओर बढते , यह बात रहे ध्यान
भूल से ना पाँव हों, कभी दो दो नाव पर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
अपना लक्ष्य स्पष्ट रख, निर्धारित पडाव कर,
मुश्किल से जूझने का, भीतर से चाव कर,
मंजिल की ओर बढते , यह बात रहे ध्यान
भूल से ना पाँव हों, कभी दो दो नाव पर !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Thursday, July 24, 2014
प्रेम वचन
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रहिये सबसे प्रेम से , रखिये मेल मिलाप,
ऐसे वचन न बोलिये , हो फिर पश्चाताप,
हो फिर पश्चाताप , बढे तनाव रिश्तों में
रहे मन अति उदास, मरण हो फिर किश्तों में !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
रहिये सबसे प्रेम से , रखिये मेल मिलाप,
ऐसे वचन न बोलिये , हो फिर पश्चाताप,
हो फिर पश्चाताप , बढे तनाव रिश्तों में
रहे मन अति उदास, मरण हो फिर किश्तों में !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Monday, July 21, 2014
फक़ीर हो गये !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वो सेवा कर के अमीर हो गये,
प्यादे से बढ़ के वज़ीर हो गये,
हमारी तरक्की बस इतनी हुई
भिखमंगे थे अब फक़ीर हो गये !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
वो सेवा कर के अमीर हो गये,
प्यादे से बढ़ के वज़ीर हो गये,
हमारी तरक्की बस इतनी हुई
भिखमंगे थे अब फक़ीर हो गये !
-ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, July 20, 2014
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