Thursday, August 30, 2012
Sunday, August 19, 2012
Sunday, August 12, 2012
Saturday, August 11, 2012
भारत माँ के नाम
-ओंम प्रकाश नौटियाल
हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !
माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !
नदियाँ, गिर श्रंखलायें, झील, ताल कंदरायें हे माँ बताऊँ कैसे, कितना प्यार तुमसे है
जीवन में सभी खुशियाँ औ’ बहार तुमसे है !
माँ जन्मदायिनि तुम आँचल में दी जगह
अंततः समाना तुममें, ये संसार तुमसे है !
कला बोध, गीत, प्रीत लय मल्हार तुमसे है !
हमें दिये माँ तुमने अनमोल रतन कितने
ऋषि संत मुनियों सा मिला उपहार तुमसे है !
गार्गी, मीरा, सीता या हों कल्पना, सुनीता
सुन्दर सुगन्धित चमन ये गुलजार तुमसे है !
श्री राम ,राणा, शिवाजी ,पटेल, टैगोर गाँधी
वेद पंचम धर्म दर्शन का आधार तुमसे है!
दुष्टों के प्रहार भी माँ सहती रही सदा से
निश्छल प्रेम, क्षमा भाव का आचार तुमसे है !
मन में है चाह इतनी हों प्राण तुम पे कुर्बां
सब गीत गजल कविता अशआर तुमसे हैं !
Wednesday, August 8, 2012
मेरा प्यारा देश
नौटियाल
मेरे प्यारे देश तेरे वैभव वेश
जमीं आसमान का क्या कहना,
मन भावन निराली रूप छटा
शफ्फाक शान का क्या कहना !
स्वर्णिम अतीत की खानों ने
मोती रतन अनमोल दिये,
हुई ज्ञान ज्योत देदीप्यमान
तेरे वेद पुराण का क्या कहना !
मधुमय देश तेरा मृदुल संदेश
अहिंसा, शान्ति, स्नेह, अद्वेष ,
हर धर्म का मान स्थान समान
गीता कुरान का क्या कहना !
शून्य की शक्ति से अवगत
किया तूने यह संपूर्ण जगत,
ऋषि मुनि मोक्ष योग निर्वाण
ज्ञान विज्ञान का क्या कहना !
देवालय,चर्च, मस्जिद, गुरुदारा
संस्कृति में मेल विविधता का ,
चमेली चंपा शैफाली बेला
कुंकुंम जाफ़रान का क्या कहना !
मेरे प्यारे देश तेरी आन बान
मान सम्मान अभिमान ईमान,
तेरे बाग खेत खलिहान किसान
न्यारी पहचान का क्या कहना !
ओंम प्रकाश नौटियाल
Sunday, August 5, 2012
रक्षाबंधन -चंद हाइकु
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-
रक्षाबंधन
जियेंगे बचपन
भाई बहन
-
चंदा भय्या की
राखी सजी कलाई
बहुत भाई
-
राखी की दुआ
हो खुशियों का जहाँ
भय्या हों जहाँ
-
सैकडॊं कोस
होंगे मन मसोस
भय्या खामोश
-
भाई समीप
अक्षत रोली दीप
प्रेम प्रदीप
-
कूडे में पडी
क्या होता है पूछती
रक्षाबंधन ?
-
-
रक्षाबंधन
जियेंगे बचपन
भाई बहन
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चंदा भय्या की
राखी सजी कलाई
बहुत भाई
-
राखी की दुआ
हो खुशियों का जहाँ
भय्या हों जहाँ
-
सैकडॊं कोस
होंगे मन मसोस
भय्या खामोश
-
भाई समीप
अक्षत रोली दीप
प्रेम प्रदीप
-
कूडे में पडी
क्या होता है पूछती
रक्षाबंधन ?
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सगर्व मने रक्षा बंधन
-ओंम प्रकाश नौटियाल
-
स्नेह सिंचित भेज रही हूं
ममता की यह डोर तुम्हे
आ न पाई दूर देश से
यह व्यथा रही झकझोर मुझे !
-
प्यार हमारा रचा बसा है
बचपन की अनगिन यादों में
स्नेह मेह की धारा अविरल
बहती रही सावन भादों में !
-
दूर भले हो किया वक्त ने
मन बंधन बाँधे ये धागा है
पहुंचायेगा स्नेह संदेश तुम्हे
छत पर जो बैठा कागा है !
-
प्यारी नन्हीं बिटिया से तुम
लगवाना भाल रोली चंदन
देना आशीष निर्भिक जिये
सगर्व मने रक्षा बंधन !!
-
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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स्नेह सिंचित भेज रही हूं
ममता की यह डोर तुम्हे
आ न पाई दूर देश से
यह व्यथा रही झकझोर मुझे !
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प्यार हमारा रचा बसा है
बचपन की अनगिन यादों में
स्नेह मेह की धारा अविरल
बहती रही सावन भादों में !
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दूर भले हो किया वक्त ने
मन बंधन बाँधे ये धागा है
पहुंचायेगा स्नेह संदेश तुम्हे
छत पर जो बैठा कागा है !
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प्यारी नन्हीं बिटिया से तुम
लगवाना भाल रोली चंदन
देना आशीष निर्भिक जिये
सगर्व मने रक्षा बंधन !!
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(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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