Monday, February 28, 2011

काला धन

-ओंम प्रकाश नौटियाल


श्वेतपोश नेताओं को भली प्रकार यह ज्ञात,
कोयले की करो दलाली तो काले होते हाथ ।

धन काला छूने से तभी वह परहेज फ़रमाते,
दाता से कहकर सीधे खातों में जमा कराते ।

इसी वास्ते काले धन पर अपने शासक मौन,
काले धन को लाने में काले हाथ करेगा कौन?

रंग निखारने के लिए वह शीत देशों मे जाते,
श्वेत श्याम धन करने हेतु वहाँ खोलते खाते।

श्वेत श्याम धन समझो, जैसे अनुलोम विलोम,
स्वस्थ,प्रसन्न हो तन,मन भजता हरि ’ओंम’।

Thursday, February 17, 2011

कलियुग के ’मोहन’

-ओंम प्रकाश नौटियाल



उठाते थे निज उंगली पर कभी पर्वत समूचा जो,
वह ’मन’’मोहन’ भी कितने आज लाचार से लगते ।

नचाते थे कभी वंशी की धुन पर गोपियाँ सारी,
उनको बेसुरे कुछ लोग, अपने अनाचार से ठगते ।

मनचलों की मनमानी, मनहूस मन्सूबों के किस्से ,
मन मन ही ’मोहन’ को किसी तलवार से चुभते।

सभी सृष्टि है ’मोहन’ की तभी मजबूरी है सहना,
यह मनसबदार सारे पर बडे मक्कार से लगते ।

’ओंम’ कलियुग घोर है तभी ’मोहन’ भी विवश हैं,
राजा कंस, शिशुपाल नहीं उनकी फ़टकार से डरते।

Wednesday, February 16, 2011

देहरा दून

-ओंम प्रकाश नौटियाल


वास्ता जिस शख्श का भी, कभी इस शहर से रहा,
इसकी यादों में खोया रहा, जिस भी शहर में रहा।
इसके हुस्न में ना कमी , ना कोई मुझे दाग मिला,
टहलता निकला जिधर, लीची,आम का बाग मिला।
हवा में ताजगी और सरगम, माहौल में सुकून है,
रहूं कहीं पर भी मगर बसा दिल में देहरादून है।

Sunday, February 13, 2011

प्रेम दिवस

-ओंम प्रकाश नौटियाल


इस देश में हर दिन ही पहले प्यार की रुत थी,
है उस जमाने की बात जब फ़ुर्सत ही फ़ु्र्सत थी,

अब कहाँ वक्त रोज इश्क का इजहार कर सकें,
इस तेज रफ़्तार जीवन में ’उन्हे’ प्यार कर सकें,

लो आ गया है फिर से ’प्रेम दिवस’ का त्यौहार,
चलो मिल लें कहीं आज, बहा दें प्रेम की बयार,

’ओंम’ देखो प्यार को,पर ना इतने प्यार से देखो,
काफ़ी है ’प्रेम दिवस’ शेष दिन व्यापार को देखो।

मिस्र क्रान्ति - कुछ हाइकु

-ओंम प्रकाश नौटियाल


मिस्र के मित्रों,
मुबारक का जाना,
हो मुबारक ।

मन उमंग,
जश्न और उमंग,
मिस्र प्रसन्न ।

मिस्र में क्रान्ति,
लायी परिवर्तन,
चैन अमन ।

आई खुशियाँ,
मुबारक के बाद,
क्रान्ति को दाद ।

अहिंसा पर,
जिनको रहा नाज,
आजाद आज ।

बापू का कहा,
विजय अहिंसा से,
उतरा खरा ।

गाँधी ने दिया,
अहिंसा का जो बल,
रहा सफ़ल ।

Saturday, February 12, 2011

मायावी जूते

ओंम प्रकाश नौटियाल



जूते में आपके जब कभी रजकण को देखा है,
यकीं मानों नजारा यह दुखते मन से देखा है,
तत्क्षण उन्हे दमका,चेहरा उस दर्पण में देखा है,
उज्जवल है भविष्य अपना, समर्पण में देखा है,
पुलिस वालों से ज्यादा, न ’माया’ जाल समझोगे
’माया’ से मिले ’माया’, लिखा कण कण में देखा है।

Thursday, February 3, 2011

मिश्र में राष्ट्रपति होस्नी मुबारक के विरोध में आंदोलन

-ओंम प्रकाश नौटियाल

मेरे’मिश्री’’हुस्न मुबारक’ हो तुझे तेरा,
तुझे तकने से पेट पर भरता नहीं मेरा,
महलों के झरोखों से हमें निहारने वाले,
रोजी रोटी को तरसें हैं तेरे चाहने वाले।

वसंत -कुछ हाइकु

-ओंम प्रकाश नौटियाल



मन प्रसन्न
अब आया वसंत
शीत का अंत

धरती प्यारी
पीले पुष्पों का हार
स्वर्ण श्रंगार

छोटे से दिन
वसंत के आने से
हुए सयाने

फूलों की गंध
हवा में मंद मंद
वाह वसंत

ऋतु वसंत
पतझड का अंत
शान्त पवन

हे ऋतुराज
कोयल गाये गीत
तुमसे प्रीत